उत्तर पूर्वी राज्य असम और मिज़ोरम के बीच आज तड़के खूनी संघर्ष हुआ। दोनों राज्यों के पुलिसों के बीच इस खूनी संघर्ष में 6 असम के जवान शहीद हो गए और काफी ज़्यादा संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
आपने दो देशों के सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन ऐसा शायद ही सुना हो कि दो राज्यों के पुलिस आपस में खूनी संघर्ष पर उतर आए।
असम और मिज़ोरम के बीच जारी ये संघर्ष बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
लेकिन उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है हमारे देश के मीडिया का रवैया। कल तक जो मीडिया चैनल लोकतंत्र को बचाने के लिए सुर्खियां बटोर रहा था आज वही चैनल साम्प्रदायिकता के रास्ते पर उतर कर लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहा था।
आपको बता दें कि असम और मिज़ोरम के बीच ये विवाद कोई नया नहीं है। 100 सालों से भी ज़्यादा समय से चल रहे इस विवाद का जड़ दोनों राज्यों की सीमा को लेकर है। 100 साल के इस सीमा विवाद को दैनिक भास्कर ने साम्प्रदायिकता का रंग देते हुए हिन्दू मुस्लिम बना दिया है।
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक इस विवाद का जड़ मिज़ोरम में बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी है। अखबार के मुताबिक मिज़ोरम के मुस्लिम आदिवासी इलाकों में घुसपैठ करते हैं।
अखबार का ये दावा न सिर्फ ग़लत है बल्कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। तथ्यों से परे इन आंकड़ों में न तो कोई सच्चाई है और न ही कोई रिसर्च। मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत फैलाने के इरादे से छपी इस खबर का लोग विरोध कर रहे हैं।
असम और मिज़ोरम के बीच ये सीमा विवाद कोई नया नहीं है। ये विवाद आज़ादी से पहले से चल रहा है। साल 1875 में अंग्रेजों ने असम और मिज़ोरम के सीमा का निर्धारण किया था। तब मिज़ोरम को लुशाई हिल्स कहा जाता था। तबसे लेकर आजतक ये विवाद खत्म नहीं हुआ है।
दरअसल असम और मिज़ोरम का बॉर्डर 164 किलोमीटर लंबा है। ये विवाद तब शुरू हुआ जब असम पुलिस ने दावा किया कि मिज़ोरम की पुलिस ने असम की सीमा में कुछ अस्थायी कैम्प बना लिए हैं। वहीं दूसरी ओर मिज़ोरम पुलिस का दावा है कि उन्होंने अपने इलाके में कैम्प बनाया है।
इसी को लेकर विवाद बढ़ा और नौबत गोलीबारी तक आगई। दोनों ओर से चली गोलीबारी में 6 असम के जवान शहीद हो गए हैं। और काफी लोग घायल हो गए हैं। इस संघर्ष में दोनों राज्यों के आम नागरिक भी शामिल हो गए हैं। लोगों ने कई गाड़ियों में भी तोड़ फोड़ की है।
100 सालों से चल रही इस सीमा विवाद को दैनिक भास्कर द्वारा बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी की वजह बताई गई जो कि सरासर झूठ है और तथ्यों से परे है। आपको बता दें कि मिज़ोरम एक ईसाई बहुल राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां केवल 1.35% मुसलमान रहते हैं। यहां की 87% आबादी ईसाइयों की है। यहां 8% बौद्ध और लगभग 3% हिन्दू रहते हैं।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दैनिक भास्कर की इस साम्प्रदायिक रिपोर्ट का विरोध किया है।
मुस्लिम सोशल एक्टिविस्ट शाहनवाज़ अंसारी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “और बताओ दैनिक भास्कर के लिए स्टैंड लेने वालों शर्म तो आ नही रही होगी न तुम्हे? ऐसा करो प्रवीण तोगड़िया भी अब मोदी/बीजेपी के ख़िलाफ़ बोल रहा है। उसके लिए भी स्टैंड लो चूंकि तुम यही कर सकते हो और कुछ कर नहीं सकते।
ये मिज़ोरम की आबादी का डाटा है। पढ़ लो और शर्म कर लो थोड़ी।”
और बताओ दैनिक भास्कर के लिए स्टैंड लेने वालों शर्म तो आ नही रही होगी न तुम्हे? ऐसा करो प्रवीण तोगड़िया भी अब मोदी/बीजेपी के ख़िलाफ़ बोल रहा है। उसके लिए भी स्टैंड लो चूंकि तुम यही कर सकते हो और कुछ कर नहीं सकते।
ये मिज़ोरम की आबादी का डाटा है। पढ़ लो और शर्म कर लो थोड़ी। pic.twitter.com/zX0wBd78Fu— Shahnawaz Ansari (@shanu_sab) July 27, 2021
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ रिपोर्ट छापने के कारण आईबी और ईडी द्वारा दैनिक भास्कर के दफ्तर पर रेड डाली गई थी। उसके बाद से ही दैनिक भास्कर की साहसिक पत्रकारिता के लिए लोग दैनिक भास्कर की तारीफ कर रहे थे।
इस दौरान दैनिक भास्कर के पाठकों में भी भारी उछाल आया था।
अपनी साहसिक पत्रकारिता के कारण हाल ही में आज तक चैनल से निकाले गए श्याम मीरा सिंह ने भी इसकी आलोचना की है। उन्होंने लिखा है “अख़बारों और टीवी चैनलों के लिए “मुस्लिम” उस एंटी वायरस की तरह है जिसे अपनी खबरों में डालने के बाद ED, CBI, NIA के हमले नहीं होते. लगता है दैनिक भास्कर ने भी अपने सिस्टम में एंटी वायरस डलवा लिया है. अब कोई ख़तरा नहीं.”