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सम्पादकीय

क्या राहुल गाँधी प्रशांत किशोर के जरिए 2024 मे वापसी करना चाहते है?

जैसा की बहुप्रतीक्षित था, आखिरकार प्रशांत किशोर का कांग्रेस पार्टी में आना लगभग तय माना जा रहा है. उन्होंने राहुल गाँधी एवं प्रियंका जी के साथ मीटिंग की, जो राहुल जी के निवास पर संपन्न हुई. इस बैठक में श्रीमती सोनिया गाँधी भी वीडियो कॉल के जरिए मौजूद रहीं।

मैंने अपनी पिछली कुछ पोस्ट में यह उल्लेख किया है कि प्रशांत किशोर बहुत जल्द कांग्रेस को मदद पहुंचाने वाले हैं. जून माह में शरद पावर साहब से हुई उनकी बैक टू बैक दो मीटिंग्स के बाद फेसबुक के कई स्वंभू पंडितों ने ये कयास लगाए की वे ममता बनर्जी को पीएम बना ने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं. जो बेहद हास्यास्पद बात थी, क्यूंकि किशोर ये क्लियर कर चुके हैं कि रीजनल पार्टी के नेता का पीएम बन ना ठीक नहीं है और ना पब्लिक में ऐसे चेहरे को सर्वसम्मति।

देखिए आप लोगों के ये बेहद जरूरी है समझना की प्रशांत किशोर कोई चुनाव जिताने की मशीन नहीं है.
वे निश्चित ही एक बेहतरीन स्ट्रैटजी मेकर हैं पर चुनाव संचालित करने हेतु जितने भी इंग्रेडिएंट्स चाहिए होते हैं वो एक टीम के रूप में उनके पास मौजूद हैं. वो भी सबसे उच्च कैटेगिरी के. उनके ऑफिस में हर डेज़िगनेशन पर एक महारथी बैठा है, जो हारी हुई बाज़ी जिताने का माद्दा रखता है।

प्रशांत किशोर एक पॉलिसी मेकर हैं और युनाइटेड नेशनस में कई वर्ष कार्य कर चुके हैं. तो आप इस बात को समझिए कि उनका असल काम पार्टी को चुनाव जिताने के बाद शुरू होता है. उन्हें बहुत दूर की कोटि खेलने में महारथ हासिल है. उन्होंने मोदी के अलावा नीतीश कुमार को भी ट्राई किया, उन्हें हीरो बना चुनाव भी जिताए, पर इन कम्बख्तों ने उन्हें केवल चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल किया और फिर कन्नी काट गए।

प्रशांत किशोर के तीन प्रमुख एजेंडा हैं। पहला है देश विदेश में रह रहे भारतीयों को लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी तंत्र का हिस्सा बना ना, दूसरा है रिसोर्सेज का डीसेंट्रलाईज़ेशन और तीसरा है युवाओं को राजनीति में अधिक से अधिक संख्या में लाना.
ये तीनों ही मुद्दे ऐसे है कि हर कोई पॉलिटीशियन इन पर काम करने की ना हिम्मत रखता है, ना हैसियत।

पीके के अनुसार यदि कोई भारतीय नेता ये काम कर सकता है तो वो है राहुल गांधी. आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि बहुत जल्द राहुल गांधी, प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल कर एक बेहद ऊंचा पद भी देने की तयारी कर चुके है।

बुधवार को हुई मीटिंग ने भाजपा एवं उसके सहयोगियों के होश उड़ा दिए हैं. वर्तमान में पीके की जिम्मेदारी राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने तथा सेंट्रल लेवल पर कांग्रेस की छवि चमकाने की रहेगी।

तो तैयार रहें, कांग्रेस को एक नए रूप में देखने के लिए, ये राहुल की कांग्रेस है, ये युवाओं की कांग्रेस है, धमाका करने वाली है जिसकी शुरुआत अगले साल यूपी चुनाव से हो जाएगी. यदि प्रशांत और राहुल की जोड़ी जादू कर गई तो समझिए भारत में अगले सत्तर साल फिर कांग्रेस के ही होंगे. क्यूंकि गुलामों, तुम कितनी ही लीपापोती कर लो, तुम्हारा साहब खुद साबित कर चुका की गवर्नेंस उनके बस का नहीं।

(यह लेखक के अपने विचार है साभार लेखक हितेश एस वर्मा की फेसबुक वाल से)

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