बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को एक ट्वीट के माध्यम से कहा कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में मुस्लिम समुदाय के हित में कोई ठोस काम नहीं किया गया था। पिछली सरकारों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और उनके विकास की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद से मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025-26 के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट में 306 गुना वृद्धि करते हुए ₹1080.47 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए वर्ष 2006 से कब्रिस्तानों की घेराबंदी योजना शुरू की गई, जिसके तहत अब तक 8,000 से अधिक कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 1,273 और कब्रिस्तानों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 746 का काम पूरा हो चुका है और शेष कार्य जल्द समाप्त होगा।
नीतीश कुमार ने भागलपुर दंगे (1989) का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय की सरकार दंगा रोकने में पूरी तरह विफल रही थी। लेकिन उनकी सरकार ने सत्ता में आने के बाद दंगा पीड़ितों को न्याय, मुआवजा और पेंशन उपलब्ध कराया तथा दोषियों पर कार्रवाई की।
उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2006 से मदरसों का निबंधन और सरकारी मान्यता दी गई, साथ ही मदरसा शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन देने की व्यवस्था की गई। इसके अलावा मुस्लिम तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दी जाने वाली सहायता राशि ₹10,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने ‘तालीमी मरकज’, ‘हुनर’, छात्रवृत्ति, मुफ्त कोचिंग, छात्रावास और उद्यमी योजना जैसी कई योजनाएं मुस्लिम युवाओं के हित में शुरू की हैं।
उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि “अब चुनाव के समय कुछ लोग फिर से खुद को मुस्लिमों का हितैषी बताने लगे हैं, जबकि हकीकत यह है कि उन्होंने कभी समुदाय को वास्तविक हिस्सेदारी नहीं दी।”
नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे किसी भ्रम में न रहें और उन कार्यों को याद रखें जो उनकी सरकार ने पिछले दो दशकों में किए हैं।
“हमारी सरकार ने आपके लिए जो काम किए हैं, उसी आधार पर तय कीजिए कि अपना वोट किसे देना है,” मुख्यमंत्री ने कहा।

