Journo Mirror
भारत राजनीति

कोरोना से नहीं हुई शाहबुद्दीन की मौत, शव को दफनाने से रोका जा रहा है, चुप क्यूँ हैं तेजस्वी? ओवैसी ने उठाई आवाज़

राजद के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शाहबुद्दीन की मौत शनिवार को दिल्ली के एक अस्पताल में हुई। अस्पताल प्रशासन द्वारा ये दावा किया गया कि उनकी मौत कोरोना के कारण हुई है। लेकिन उनके परिवार और उनके बेटे का ये आरोप है कि उनकी हत्या हुई है।

उनके बेटे ओसामा ने बताया कि 4 दिन पहले RTPCR के लिए शाहबुद्दीन का सैंपल लिया गया था जिसका रिपोर्ट कल आया। ओसामा ने बताया कि उनका कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आया है। जिस वक्त रिपोर्ट आयी उस वक़्त उनके परिजन लाश को लेकर घर जा रहे थे। रिपोर्ट आने के बाद लाश को अस्पताल वालों ने कब्ज़े में ले लिया है। न ही मौत की असल कारण की जांच कर रहे हैं और न ही लाश को दफनाने के लिए दे रहे हैं।

ऐसे में घर वालों ने तय किया है कि आज वे कोर्ट का रुख करेंगे। सोशल मीडिया पर लगातार लोग शाहबुद्दीन के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनके मौत की जांच होनी चाहिए और जल्द से जल्द परिजनों को लाश सौंप देना चाहिए।

टीपू सुल्तान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर शेख सादेक ने कॉल पर शाहबुद्दीन के बेटे से बात की और प्रशासन से इंसाफ की गुहार लगाई।

https://twitter.com/TSP4India/status/1388805353916096514?s=19

ट्विटर पर लोग बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से भी सवाल कर रहे हैं कि जिस पार्टी के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी आज उन्ही के इंसाफ के लिए आवाज नहीं उठा रही है।

राजद और तेजस्वी यादव पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया एक्टिविस्ट ‘शाहनवाज़ अंसारी’ लिखते है “लालू परिवार ने मरहूम शहाबुद्दीन और उनके परिवार के साथ गद्दारी की है। अपनी पूरी जिंदगी RJD को वक़्फ करने वाले “साहेब” के परिवार के साथ खड़े होने के समय RJD खामोश तमाशाई बनी हुई है। आख़िर क्यों सब मौन हैं? साहेब पर हुई ज़्यादती के खिलाफ क्यों कोई नही बोलता?”

शाहबुद्दीन के लिए आज भले ही सारी सेक्युलर पार्टियां चुप हैं लेकिन असदुद्दीन ओवैसी और उनके बिहार के विधायकों ने ट्वीट कर उनके लिए इंसाफ की मांग की है साथ ही प्रशासन से अपील की है कि उनकी लाश को परिजनों के सुपुर्द किया जाए।

असदुद्दीन ओवैसी ने आज सुबह ट्वीट कर लिखा है कि
“मरहूम शहाबुद्दीन साहब के घर वाले उनकी तदफ़ीन सिवान में करना चाहते हैं।अधिकारी इसकी इजाज़त नहीं दे रहे हैं और उनकी मय्यत को घर वालों के हवाले नहीं कर रहे हैं। शहाबुद्दीन साहब का ठीक से इलाज नहीं हुआ था। उन्हें एक COVID-19 के मरीज़ के साथ रखा गया था। कम से कम उनके ग़मज़दा घर वालों को उनके आख़री रूसूमात उनके हिसाब से करने से तो नहीं रोका जाना चाहिए। ज़ाहिर सी बात है कि वो COVID-19 के तमाम एहतियाती तदाबीर पर अमल करेंगे।”

बिहार AIMIM सदर अख्तरुल ईमान ने भी ट्वीट कर प्रशासन से अपील की है कि उनकी लाश को परिजनों के हवाले कर दिया जाए। उन्होंने लिखा है कि “हमारा संविधान इस बात का हक देता है की मृत्यु के बाद ससम्मान अंतिम रस्म अदा किया जाए।आखिर क्या वजह है कि उनके परिवार के आरोपों को नजरंदाज कर के सरकार हठधर्मिता पेउतरी हुई है उनके परिवार का आरोप है कि उनकी मौत साजिशके तहत हुई हैअगर ऐसा हुआ है तो इनकी उच्चस्तरीय जांच हो और इंसाफ मिल”

Related posts

Leave a Comment