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UCC आरक्षण को ख़त्म करने की पहली सीढ़ी है, जिसका सबसे ज़्यादा नुक़सान दलितों और आदिवासियों को होगा ना की मुसलमानों को: डॉ. मेराज हुसैन

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे को लेकर शुरू हुई चर्चा के ज़रिए मुसलमानों को लगातार निशाना बनाया जा रहा हैं जबकि इसका सीधा असर दलितों और आदिवासियों पर होगा।

वॉलंटियर्स अगेंस्ट हेट के राष्ट्रीय कन्वेनर डॉक्टर मेराज हुसैन के अनुसार, UCC आरक्षण को ख़त्म करने की पहली सीढ़ी है, इसके ज़रिए दलित और आदिवासियों पर सीधा प्रहार किया जाएगा।

मेराज हुसैन के मुताबिक़, कई सारे मीडिया वाले और बहुत से लोग आजकल सवाल पूछते हैं कि UCC पर आपका क्या मत है? मैंने उन सब को यही जवाब देता हूँ कि जब तक UCC का कोई ड्राफ्ट सामने न आए मत कैसे दिया जा सकता है?

दूसरी बात मेरे मानने में UCC आरक्षण को ख़त्म करने की पहली सीढ़ी है, जिसका सबसे ज़्यादा नुक़सान दलितों और आदिवासीयो को होगा ना की मुसलमानों को।

राजनीतिक विश्लेषक और ‘आरएसएस’ क़िताब के लेखक जयदेव डोले का मानना है कि संघ की भूमिका आरक्षण के ख़िलाफ़ है. वह कहते हैं,“जब संविधान तैयार हो रहा था, तो गोलवलकर ने हमेशा आरक्षण का विरोध किया था. आरक्षण दस साल के लिए है और यह रद्द करना चाहिए, ऐसा उन्होंने कई बार कहा था. दस साल के लिए जो आरक्षण था, वो एक राजनीतिक आरक्षण था।”

ग़ौरतलब है कि बिहार चुनाव में मोहन भागवत का आरक्षण विरोधी बयान भी इस कड़ी में जोड़ा जा सकता है. कुल मिला जुलाकर फ़िलहाल मुझे ये समझ आता है कि मुसलमानों पर तो नहीं लेकिन दलितों और आदिवासियों पर UCC एक सीधा प्रहार होगा।

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