हिंदुस्तान में पहले मुसलमानो को डरा-धमका कर आगे बढ़ने से रोका जाता हैं फिर उनकी धार्मिक पहचान के कारण उनको नौकरियों से दूर किया जाता हैं।
पश्चिम बंगाल में मुसलमानो की हितेषी ममता बनर्जी के राज में भी मुस्लिमों को धार्मिक आज़ादी नहीं हैं। मुस्लिम लड़कियों को उनके पहनावे के कारण नौकरियों में आवेदन करने से रोका जा रहा हैं।
बंगाल में डब्ल्यूबीपीआरबी ने कांस्टेबलों और महिला कांस्टेबलों की भर्ती के लिए आवेदन मांगें थे जिनमें से उन्होंने एक हज़ार मुस्लिम लड़कियों के आवदेन खारिज कर दिए।
इस मामले में बोर्ड का कहना हैं कि कि हमनें उन आवेदनों को खारिज़ किया हैं जिन तस्वीरों में लड़कियों ने हिजाब या हेडस्कार्फ़ पहन रखा हैं। क्योंकि हमारी डब्ल्यूबीपीआरबी की गाइडलाइंस में कहा गया है कि फोटो में आवेदकों के चेहरे किसी भी प्रकार से ढके नहीं होने चाहिए।
न्यूज़ पोर्टल क्लेरियन इंडिया ने बताया कि जब उन्होंने आवेदन खारिज़ होने वाली मुस्लिम लड़कियों से बात की तो उन्होंने बताया कि “हिजाब पहनना हमारा संवैधानिक अधिकार है हमने कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिजाब पहने हुए अपनी तस्वीर का इस्तेमाल किया है। कहीं भी मेरा आवदेन खारिज़ नहीं हुआ। पुलिस भर्ती बोर्ड मुझे मेरे धार्मिक अधिकारों से वंचित कर रहा है।”
इस मामले को लेकर स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) डब्ल्यूबीपीआरबी के अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा तथा अस्वीकृत आवेदन पत्रों को फिर से अपलोड करने के लिए उपयुक्त समय देने और मुस्लिम लड़कियों को स्कार्फ पहनकर परीक्षा में भाग लेने की अनुमति देने के की मांग की।
SIO West Bengal visited Araksha Bhawan & submitted Memorandum demanding to give apt time to re-upload rejected application forms and allow the Muslim girls to participate in the examination wearing scarf.@sioindia@MamataOfficial@jdhankhar1#siowb#WBP pic.twitter.com/laT0L7oXJk
— SIO West Bengal (@siowb) September 16, 2021
आपको बता दें कि 2017 में, केरल हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के अनुपालन में हिजाब पहनकर प्रवेश परीक्षा में शामिल होना भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित अधिकार है।