जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने पलवल और मेवात में दंगा प्रभावित मस्जिदों का दौरा किया और जमीअत की ओर से करवाए जा रहे मरम्मत के कार्यों की समीक्षा की।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने पलवल जिले के रसूलपुर की मस्जिद में ज़ुहर की नमाज़ अदा की. इस मस्जिद में दंगों के 50 दिन बाद भी जमाअत के साथ (सामूहिक तौर पर) नमाज नहीं पढ़ी जा सकी थी, इस मस्जिद के आसपास गैर-मुस्लिमों की बहुलता है।
अत्यंत दुखद बात है कि दंगे वाले दिन इस मस्जिद के मेहराब पर साम्प्रदायिक तत्वों ने ’पेशाबघर’ लिख दिया था, अब इस मस्जिद की मरम्मत जमीअत के माध्यम से की जा रही है।
ज्ञात हो कि मेवात के पलवल समेत विभिन्न इलाकों में दंगाइयों ने 14 मस्जिदों को निशाना बनाया था, जमीअत के प्रतिनिधिमंडल ने इसके अलावा पलवल में स्थित पीर वाली मस्जिद, गुप्तागंज वाली मस्जिद, होडल में स्थित गांधी चौक वाली मस्जिद, सब्जी मंडी मस्जिद होडल, मस्जिद ईदगाह समेत सात मस्जिदों का निरीक्षण किया।
प्रतिनिधिमंडल में विशेष रूप से जमीअत उलमा दिल्ली के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आबिद कासमी और दिल्ली प्रांत के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे. इस अवसर पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि पलवल जिले में मस्जिदों को निशाना बनाया गया, उनका अपमान किया गया, तब्लीगी जमाअत के लोगों के साथ मारपीट की गई, यहां पर रहने वाले गरीब और मजदूर लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, सैंकड़ों जूस और फेरीवालों को भगा दिया गया, कई दुकानदारों से दुकानें खाली करा दी गईं, उनकी एडवांस रकम तक वापस नहीं की गई लेकिन दंगाइयों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह न्यायिक सिद्धांतों के विरुद्ध ही नहीं बल्कि इंसाफ को लेकर जनता के अंदर निराशा जगाने वाली प्रक्रिया है, हम सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं कि उत्पीड़ित लोगों की आह न ले और साम्प्रदायिकता फैलाने वाले तत्वों को गिरफ्तार किया जाए।
जमीअत उलमा दिल्ली के अध्यक्ष मौलाना आबिद कासमी ने बताया कि जमीअत उलमा दिल्ली मस्जिदों की मरम्मत में हर संभव मदद कर रही है, उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में दंगा हुआ था तो जमीअत उलमा मेवात ने लॉकडाउन के बावजूद आगे बढ़ कर सहायता की थी. अब जब मेवात में ऐसी परिस्थितियां हैं तो हमारी इकाई हर तरह से तैयार है, आज जमीअत के प्रतिनिधिमंडल में जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव के अलावा मौलाना गय्यूर अहमद कासमी, मौलाना आबिद कासमी, हाजी इकराम, ठेकेदार इकबाल, हाजी यूनुस, हाजी यासिर और अन्य शामिल थे।