हिन्दुस्तानी में बलत्कार के मामलों में लगातार बेतहाशा वृद्धि हो रही है। प्रतिदिन 70-80 बलत्कार के मामलें दर्ज होते है।
दिल्ली में दलित समुदाय की लड़की के साथ बलत्कार के मामलें ने एक बार फिर से अपराधियों के खिलाफ़ सख्त से सख्त कानून बनाने की आवाज़ तेज़ कर दी है।
पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए राजधानी दिल्ली में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन एवं कैंडल मार्च हो रहे है।
राज्यसभा में केन्द्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार हिन्दुस्तान में वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक 1.71 लाख बलत्कार के मामलें दर्ज किए गए है।
देश में सबसे ज्यादा बलत्कार के मामलें भाजपा शासित मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए है। मध्य प्रदेश में 22,753 बलत्कार के मामलें दर्ज हुए है। तथा कांग्रेस शासित राजस्थान बलत्कार के मामलों में दूसरें नंबर पर है यहां 20,937 मामलें दर्ज किए गए हैं वहीं उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है यहा 19,098 मामलें दर्ज किए गए हैं।
देश की राजधानी दिल्ली बलत्कार के मामलों में पाँचवे नंबर पर है यहां 8,051 मामलें दर्ज किए गए हैं।
नैशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के अनुसार हिन्दुस्तान में 2019 में प्रतिदिन बलत्कार के 88 मामलें दर्ज किए थे। यानी कि हर घंटे 3-4 महिलाओं के साथ बलत्कार होता है।
नैशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के अनुसार 2019 में कुल 32,033 बलत्कार के मामलें दर्ज किए गए थे जिनमें से 11 फीसदी बलत्कार पीड़ित महिलाएं दलित समुदाय से थी।
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में कुल दर्ज बलत्कार के मामलों में 18 फीसदी पीड़ित दलित महिलाएं है।
पीपुल अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया (PARI) नामक संस्था चलाने वाली योगिता भयाना के अनुसार देश में दलित समुदाय की महिलाएं ज्यादा असुरक्षित है ज्यादातर थानों में इनकी एफआईआर भी दर्ज नही होती है इसलिए असल आकड़े नही आ पाते।
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षो में महिलाओं के साथ बलत्कार का खतरा 44 फीसदी तक बढ़ गया है।