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जमीअत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा हिंसाग्रस्त इलाकों में, मौलाना हकीमुद्दीन कासमी बोले- यह दंगा आपात परिस्थितियों का नतीजा नहीं बल्कि एक संगठित आंदोलन का हिस्सा हैं

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने नूह में सांप्रदायिक तत्वों द्वारा भड़काऊ रैली निकालने और उसके परिणामस्वरूप हुए सांप्रदायिक दंगों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर दोषी पुलिस अधिकारियों और दंगा के लिए उकसाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

एक दिन पूर्व मेवात में जुनैद और नासिर को जिंदा जलाने का आरोपी मोनू मानेसर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा था, इसके बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और न ही बाहर से हथियार लेकर भीड़ के रूप में स्थानीय धार्मिक यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को रोका गया।

यह अत्यंत चिंता का विषय है कि दंगा नूह को पार करता हुआ सोहना और गुरुग्राम शहर तक फैल गया है जिसके परिणामस्वरूप अंजुमन-ए-इस्लाम मस्जिद आग के हवाले कर दी गई और उसके इमाम हाफिज़ मोहम्मद साद, निवासी सीतामढ़ी की देर रात बहुत बेरहमी से हत्या कर दी गई।

इसी तरह सोहना की बड़ी मस्जिद भी जला दी गई. मेवात में जो स्थिति पैदा करने की कोशिश की गई है, वह केवल परिस्थितिजन्य परिणाम नहीं है, बल्कि गुरुग्राम, मानेसर और पटौदी जैसे क्षेत्रों में भी लगातार नफरत आधारित कार्यक्रम आयोजित किए गए।

मुसलमानों के विरुद्ध लोगों को खुलेआम भड़काया जाता रहा, कई बार मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुईं. दुनिया भर में बदनामी के बावजूद मोनू मानेसर को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया, उसको सरकारी संरक्षण और हिंदू चरमपंथी संगठनों का समर्थन मिलता रहता।

इन परिस्थितियों से अवगत करने के लिए जमीअत उलम-ए-हिंद ने एक-एक घटना की जानकारी लिखकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कई बार ध्यान आकर्षित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जमीअत उलमा-ए-हिंद सरकार की इस आपराधिक चुप्पी पर गहरा दुख और चिंता प्रकट करती है, वह देश के महान इतिहास को राजनीतिक स्वार्थों के लिए बलि चढ़ाने के किसी भी प्रयास को कभी स्वीकार नहीं करेगी।

इसलिए क्षेत्र में शांति और व्यवस्था स्थापित करने के लिए आज सुबह जमीअत उलमा-ए-हिंद का एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल उसके महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में गुरुग्राम पहुंचा।

गुरुग्राम में सेक्टर-12 के शवगृह में दंगे में मारे गए इमाम हाफिज़ मोहम्मद साद की लाश पड़ी थी। जमीअत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधिमंडल सबसे पहले वहां पहुंचा और उनके परिजनों विशेषकर बड़े भाई शादाब अमीनी से मुलाकात की।

मृतक के तीन भाई और चार बहनें हैं, एक बहन का इलाज चल रहा है, प्रतिनिधिमंडल ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी और उनके शव को प्राप्त कर जमीअत द्वारा किराए पर ली गई एम्बुलेंस से उनके वतन सीतामढ़ी रवाना कर दिया। साथ ही सीतामढ़ी की जमीअत उलमा को भी निर्देश दिया गया है कि वह उनके परिवार का ध्यान रखे।

इस बीच जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की और शांति स्थापित करने में जमीअत उलमा-ए-हिंद और स्थानीय इकाइयों की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

जमीअत का प्रतिनिधिमंडल इसके बाद सोहना के लिए रवाना हो गया, प्रतिनिधिमंडल देर रात नूह पहुंचेगा, जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल में महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के अलावा जमीअत उलमा संयुक्त पंजाब के सीनियर आर्गेनाइजर मौलाना गय्यूर कासमी, सीनियर आर्गेनाइजर क़ारी नौशाद आदिल, मुफ्ती सलीम बनारसी अध्यक्ष जमीअत उलमा गुरुग्राम क्षेत्र, फहीम काज़मी, इमरान, तौफीक़, मौलाना यामीन अमन फेलोशिप, मौलाना मौलाना चेयरमैन जाकिर साहब, मौलाना शेर मुहम्मद अमीनी साहब शामिल हैं।

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