दुनिया धरती पर खेती करती है, लेकिन भागलपुर नरसंहार में मुसलमानों की लाशों पर “गोभी” की खेती गई थी। उन लाशों के ऊपर पैदा हुई उन सब्ज़ियों के स्वाद का अंदाज़ा लगाइए कितनी मीठी होगी? है न? ख़ैर।
1989 में हुए भागलपुर मुस्लिम नरसंहार के बाद कमीशन ऑफ इंक्वायरी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था।
“1989 में हुए भागलपुर नरसंहार के लिए हम भागलपुर के तत्कालीन एसएसपी “के एस द्विवेदी” को ज़िम्मेदार मानते हैं। दंगा शुरू होने के दिन या उसके बाद की तारीखों में जो हुआ, उन सबके लिए एसएसपी “के इस द्विवेदी” पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं, जिस तरीके से उन्होंने मुसलमानों को गिरफ़्तार किया और उनकी हिफ़ाज़त के लिए कोई कोशिश नहीं की, उससे ये साफ़ पता चलता है कि वो सांप्रदायिक तौर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ कितने पक्षपाती हैं”
COI ने ही अपनी एक और रिपोर्ट में कहा था..
“इलियास के साथ 38 लोग थे, लेकिन जिस तरह से पुलिस वालों ने घरों में घुसकर तलाशी ली थी और मुसलमानों को जमा किया था, वो वैसा ही था जैसा जर्मनी में नाज़ी पुलिस यहूदियों के साथ करती थी, इलियास और बाक़ीयों को पुलिस एक चौकी पर ले गई, वहां क़रीब एक घंटे तक उन्हें ख़ूब पीटा, घुटने के बल बिठाया, भुका प्यासा रखा, ख़ूब बदसलूकी की और कहती थी कि दंगा शुरू क्यों किया? लेकिन वहां मौजूद कुछ पुलिसवालों ने रहम खाया और इन 38 लोगों को भागलपुर सेंट्रल जेल पहुंचाया, बाहर रहते तो शायद मारे जाते, जेल में थे तो बच गए थे”
आप कांग्रेस से ये शिकायत तो करते हैं कि 2002 गोधरा नरसंहार के बाद कांग्रेस 10 साल तक शासन में रही लेकिन गोधरा नरसंहार पर हमेशा ख़ामोश रही, गोधरा के नरसंहारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की, हत्ता के अपने सांसद एहसान जाफ़री तक को इंसाफ़ नही दिला पाई, उनकी पत्नी ज़किया जाफ़री आज भी इंसाफ़ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं, लेकिन आप भागलपुर नरसंहार के बाद लगातार 15 सालों तक सत्ता पर क़ाबिज़ रहे लालू यादव पर सवाल खड़े नहीं करते, क्यों? उन्होंने क्या किया? वो सरकार में रहते भागलपुर नरसंहार के दोषियों को सज़ा क्यों नही दिलवाए?
भागलपुर नरसंहार के चश्मदीद इक़बाल बताते हैं…
“एक भीड़ मुसलमानों को मार पीट रही थी, हम सामने खड़े देख रहे थे उन मुसलमानों को पीटने के बाद वो भीड़ हमारी तरफ़ बढ़ी, हम दरिया में कूद गए दरिया तैरकर उस किनारे चले गए, एक तरफ़ हम थे दूसरी तरफ़ भीड़ थी, लेकिन उस भीड़ ने मेरे भतीजे को पकड़ लिया था और मेरी आँखों के सामने कुल्हाड़ी से उसको शक करके, उस दरिया में फेंक दिया”
आप लालू, मनमोहन, नेहरू, राजीव, मुलायम, अखिलेश चाहे जिसकी जितनी महिमामंडन कर लें, लेकिन सच तो ये है कि कभी किसी ने भी अपनी सरकार में इंसाफ़ क़ायम करने का काम नही किया, जबकि किसी भी हुकूमत के लिए सबसे पहला काम अपनी रियासत में इंसाफ़ क़ायम करना होता है, लेकिन…. ख़ैर।
भागलपुर नरसंहार के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा को इस्तीफ़ा देना पड़ा था उसके बाद जगन्नाथ मिश्र बिहार के सीएम बनाये गए थे। ये वो आख़री दौर था कांग्रेस के ख़ात्मे का जिसके बाद कांग्रेस बिहार में दुबारा अपना पांव नही फैला पाई, इस नरसंहार के तुरन्त बाद लालू प्रसाद यादव सीएम बने और उसके बाद लगातार कई बार सीएम बने, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने भी वही किया जो काम गोधरा नरसंहार के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार में रहते हुए किया था।
भागलपुर नरसंहार में हज़ारों मुसलमानों की हत्या हुई थी,
भागलपुर नरसंहार के समय राजीव गांधी भागलपुर पहुंचे थे, राजीव गांधी ने उसी वक़्त एसएसपी के एस द्विवेदी को हटाने का आदेश दिया था लेकिन भागलपुर में कर्फ्यू होने के बावजूद दर्जनों हिन्दूवादी संगठनों ने एसएसपी के पक्ष में रैलियां निकाली थीं, ये वही थे जो आज रेपिस्टों, आतंकियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकालं रहे हैं, उस वक़्त विरोध इतना होने लगा कि देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपना फ़ैसला वापिस लेना पड़ा था। भागलपुर नरसंहार का वो इतना कामयाब एसएसपी था कि उसे बाद में नीतीश कुमार ने बिहार का डीजीपी भी बनाया था।
भागलपुर दंगों की जांच कर रही एक संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा था।
“1989 का भागलपुर दंगा तत्कालीन कांग्रेस सरकार और पुलिस की लापरवाही का नतीजा था, रिटायर्ड जज ‘एन एन सिंह’ की अध्यक्षता वाले जांच दल ने बिहार विधान सभा में एक हज़ार पेज की रिपोर्ट पेश की थी, रिपोर्ट में साफ़ साफ़ बताया था कि त्रासदी इस वजह से हुई क्योंकि कांग्रेस सरकार बेफ़िक्र थी, दंगों में पीड़ितों के साथ सत्ता ने जिस क़दर सुलूक किया था वो बिल्कुल असंवेदनशील था”
मुझे समझ में नही आता ये सब जांच कमेटी वग़ैरह क्यों बनाई जाती हैं? जब सरकार को इंसाफ़ करना ही नहीं होता है। बिना मतलब सरकार का नाजायज़ पैसा ख़र्च होता है। अरे उसी पैसे दो-चार और दंगे कराओ ताकि तुम्हारा सियासी सफ़र यूंही चलता रहे।