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Category : सम्पादकीय

सम्पादकीय

सांप्रदायिकता बनाम डेवलपमेंट की लड़ाई में सांप्रदायिकता ही जीतेगी

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सांप्रदायिक तौर पर तैयार वोटर को पेट्रोल, डीज़ल, टमाटर से रिझाया नहीं जा सकता। बहुसंख्यक समाज ‘हिंदू-हिंदू’ रोग से पीड़ित है, उस बुख़ार को उतारकर...
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स्पेनिश कांग्रेस के सदस्य सेंटियागो अबस्कल ने कहा- यूरोप को यूक्रेन के शरणार्थियों का स्वागत करना चाहिए मुस्लिम शरणार्थियों का नहीं

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यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध शांत होने का नाम नहीं ले रहा हैं. युद्ध के कारण यूक्रेन के लोग अपने अपने घर...
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हिंदू काउंसिल UK के डॉयरेक्टर अनिल भनोट ने इस्लाम को बताया हिंसक धर्म, बोले- मुसलमान शैतान हैं

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हिंदू काउंसिल यूनाइटेड किंगडम (UK) के डॉयरेक्टर अनिल भनोट ने मुसलमान और इस्लाम धर्म को लेकर अभद्र टिप्पणी की हैं. जिसके बाद उनकी चारों तरफ...
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भारत के हर शहरी को अपनी पसन्द का मज़हब अपनाने, उसकी तबलीग़ करने, उसके मुताबिक़ डेमोक्रेटिक तरीक़े पर हिन्दुस्तान को बनाने की आज़ादी है

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दुनिया दारुल-अस्बाब है। यानी इस दुनिया में हर काम को करने के लिये साधन की ज़रूरत पड़ती है। यहाँ के नतीजे हमारे अमल (Activism) पर...
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मुसलमानों की जहालत और ग़रीबी की सबसे बड़ी वजह दीन का महदूद तसव्वुर है

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ये मज़मून एक हादसे कि वजह से लिखना हुआ। हुआ ये कि दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती का रहने वाला एक मुस्लिम लड़का जिसकी उम्र...
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भारत अपने देश के करोड़ों आदिवासी, दलित, मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को उनके जन्मस्थान, समुदाय और हैसियत के आधार पर बराबरी और इंसाफ से महरूम कर रहा है।

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2008 के अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में कल 38 आरोपियों के साथ फांसी की सजा पाये सफदर नागौरी का 2017 में लिखा गया खुला खत पढ़...
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नेली नरसंहार: सात घंटों तक मुसलमानों की बस्तियों को घेरकर उनपर हमला किया गया, पुलिस फ़ोर्स ग़ायब रही, कई हज़ार मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम हुआ

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नेली मुस्लिम नरसंहार और सिख नरसंहार में महज़ कुछ ही महीनों का फ़र्क़ था। जब असम (नेली) में मुसलमानों का नरसंहार हुआ था तब देश...
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जेल में बंद बेगुनाहों के केस लड़ने वाले शाहिद आज़मी मरकर भी नही मरे क्योंकि वह शहीद हो गये

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शाहिद आज़मी ने 1992 में 15 वर्ष की उम्र में हाई स्कूल के एग्जाम ही दिये थे कि सरकार ने उन्हें टाडा के तहत गिरफ्तार...
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इंटरव्यू के नाम पर प्रधानमंत्री चुनावी रैली कर रहे हैं

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चुनाव का प्रचार ख़त्म हो गया है। इंटरव्यू के नाम पर चुनाव प्रचार चल रहा है। इतनी नफ़रत लोकतांत्रिक मर्यादाओं से नहीं करनी चाहिए कि...
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अगर सभी पर जबरन एक भाषा, एक ड्रेस थोपी जाएगी तो हम अपनी पहचान को खो देंगे

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यूनिवर्सल ड्रेस कोड ओल्ड आइडिया है, ये विविधता और स्थानीय संस्कृति को ख़त्म करता है, अंग्रेजों के ड्रेस कोड ने पहले भारतीयों की स्थानीयता को...