Journo Mirror

Category : Editorial

Editorial

हिन्दोस्तानी मुसलमानों की जान इतनी क़ीमती नहीं है कि उनके क़ातिलों को सज़ा हो और वो भी सज़ा-ए-मौत

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इख़बार की एक कटिंग वायरल हो रही है. जिसपर मोटे लफ़्ज़ों में लिखा हुआ है- ‘बंगाल के बाद झारखंड में भी मॉब लिंचिंग से जान...
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ताक़त का इस्तेमाल ज़ुल्म करने के लिये नहीं बल्कि ज़ुल्म को रोकने और ख़त्म करने के लिये होना चाहिए

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अल्लाह ने इंसान को बेहतरीन शक्ल-सूरत के साथ पैदा किया। इसको तमाम जानदारों पर बरतरी दी। इसको अक़्ल और शुऊर, सोचने और समझने की सलाहियत...
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नरेंद्र मोदी फिलहाल अपनी बदनसीबी से इंटरनेशनल मोर्चे पर बहुत कमजोर है और वहां राहुल गांधी तेजी से बढ़त बनाये हुए हैं

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इस फ्रेम में मौजूद हम दोनों इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, यहूदी साजिश, विभिन्न तरह के गुरुकुल मामलात के एक्सपर्ट है, फर्क सिर्फ इतना है कि सबीना सोशल...
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प्रधानमन्त्री मोदी को शर्म आ गई, लेकिन कृषि क़ानूनों के फ़ायदे गिनाने वाली गोदी मीडिया को शर्म कब आएगी?

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लोकतान्त्रिक व्यवस्था में शक्ति का स्रोत जनता होती है। ये वाक्य सुनते-सुनते हमने जवानी की देहलीज़ पार करके बुढ़ापे में क़दम रख लिया था, मगर...
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प्रधानमंत्री को किसान पसंद नहीं और किसानों को उन पर भरोसा नहीं

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प्रधानमंत्री किसानों से बात करना पसंद करते हैं लेकिन उन किसानों से नहीं जो मुद्दों की जानकारी रखते हैं और माँग करते हैं। आपने शायद...
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देश का हर कोना मुसलमानों के लिये तंग हो गया है, पुलिस कस्टडी में अल्ताफ़ की मौत ख़ुदकुशी नहीं, क़त्ल है

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कासगंज, उत्तर-प्रदेश में पुलिस कस्टडी में 22 साल के अल्ताफ़ की मौत हो गई। पुलिस का बयान है कि उसने वाशरूम की टोंटी से लटक...
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भारतीय मुसलमानों के मौजूदा हालात का तक़ाज़ा है कि मिल्लत का एक-एक शख़्स संगठित हो

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मुसलमानों की समस्याओं का जब और जहाँ ज़िक्र आता है, उनके हल के तौर पर सबसे पहला हल यही पेश किया जाता है कि मुसलमान...
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सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देने के बावजूद बाबरी मस्जिद पर आतंकी हमला कर उसे शहीद किया गया

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आपको याद होगा पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान के ख़ैबर पख़तूनख़्वाह सूबे के करक ज़िले में एक मंदिर पर शिद्दत पसन्दों ने हमला किया था...
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देश की आज़ादी के लिए सबसे ज्यादा दान देने वाले अब्दुल हबीब यूसुफ मार्फानी ने अपनी बीवी के गहने भी दान कर दिए थे

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इस चेहरे को गौर से देखिए. यह किसी मामूली से आदमी का चेहरा मालूम होता है. इतना मामूली कि एक बार कोई देख भी ले...
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नोटबंदी का असली फायदा भृष्ट नेताओं, काला बाजारियों और एनपीए से डूबते बैंको को हुआ

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आज से ठीक 5 साल पहले 8 नवंबर रात के 8 बजे भारत के आम आदमी के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ था. नोटबंदी सफल...