झारखंड के जमशेदपुर में हुई हिंसा को लेकर नए नए खुलासे हो रहें हैं, मुकामी लोगों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए गंभीर आरोप लगाएं हैं।
पुलिस उपायुक्त को लिखे पत्र में कहा गया है कि, पुलिस ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ एकतरफा कार्यवाही की हैं, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों ने SSP के सामने मुसलमानों की 5 से 7 दुकानों को आग के हवाले किया था।
शास्त्री नगर की फारुकी मस्जिद में तरावीह की नमाज़ के दौरान पुलिस ने इमाम साहब और नमाजियों को गिरफ्तार किया तथा पुलिसकर्मी जूते पहनकर मस्जिद में घुस गए।
पत्र में लिखा गया हैं कि, पुलिसकर्मियों ने मस्जिद के शीशे तोड़े तथा मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ कुरान ए पाक को भी फाड़ा. पुलिस पर मौहल्ले के सीसीटीवी कैमरे तोड़ने का भी आरोप हैं।
पुलिस पर इलाक़े की सभी स्ट्रीट लाइटें तोड़कर मुसलमानों के घरों में घुसकर औरतों और बुजुर्गो को भी मारने का इल्ज़ाम हैं।
इस पत्र की कॉपी झारखंड के मुख्यमंत्री, गृह सचिव एवं मुख्य सचिव को भी भेजी गईं हैं. जिसमें SSP को तुरंत हटाने, गिरफ्तार किए गए बेकसूर मुसलमानों को रिहा करने तथा आरोपी पुलिसकर्मियों और हिंदू संगठन के लोगों के खिलाफ़ कार्यवाही करने की मांग की गई हैं।
पत्रकार आसिफ़ मुज्तबा ने कुछ वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि, वीडियो में देखा जा सकता हैं कि क्षेत्र में तनाव से निपटने के दौरान राज्य पुलिस ने कैसा व्यवहार किया. यह उन मुस्लिम नेताओं के बयान का समर्थन करता है जिन्होंने पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाया था।