महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने जलगांव ज़िला कलेक्टर के फ़ैसले पर रोक लगाते हुए फ़िर से पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ने की इज़ाजत दे दी हैं, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत किया हैं।
हाईकोर्ट ने अहम फ़ैसला सुनाते हुए ज़िला कलेक्टर को जामा मस्जिद की चाबी मस्जिद की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को सौंपने का हुक्म दिया हैं।
आपको बता दें कि, महाराष्ट्र के खानदेश क्षेत्र के एरंडुल शहर की जामा मस्जिद को बीते दिनों जलगांव के जिला कलेक्टर ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत सील करने का आदेश दिया हैं. यह मस्जिद 1610 में अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में बनी थीं।
इस ऐतिहासिक मस्जिद में मुस्लिम सदियों से पांच वक्त की नमाज अदा करते आ रहे हैं, लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा मस्जिद को सील करने के अंतरिम आदेश के बाद से मस्जिद में पांच वक्त की नमाज खतरे में पड़ गई थी।
मस्जिद के ट्रस्टियों और स्थानीय लोगों ने बताया हैं कि पांडुवाड़ा संघर्ष समिति नाम के एक हिंदुत्ववादी संगठन ने दावा किया है कि यह पांडुवाड़ा मंदिर था जिसे मस्जिद बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया और उसकी जगह पर कब्जा कर लिया गया था।
18 मई 2023 को पांडुवारा समिति के अध्यक्ष परमधुसदन दंडुते ने जिला कलेक्टर जलगांव में एक याचिका दायर की और कहा कि पांडुवारा के स्वामित्व वाली भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था और यह कब्जा जामा मस्जिद ट्रस्ट द्वारा किया गया था, इसलिए भूमि की माप की जानी चाहिए और सील करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के फ़ैसले पर पूर्व आइपीएस अब्दुर रहमान का कहना हैं कि, कभी-कभी कुछ अधिकारियों को अपने आक़ाओं को खुश करने की जल्दबाजी होती है. कमजोर के विरुद्ध फैसला लेना भी आसान होता है. चाबी को ट्रस्ट के हवाले करने और नमाज जारी रखने का हाई कोर्ट का फैसला स्वागतार्ह है. जोर जबरदस्ती से मस्जिद पर कब्जा करने के इरादे पर लगाम लगी है।