भाजपा सरकार द्वारा किसानों की मर्जी के खिलाफ लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए देशव्यापी किसानों आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले मेजर खान कोविड से जंग हार गए।
रिटायर्ड नायब सूबेदार मेजर खान 26 नवंबर यानी जब से किसान आंदोलन की शुरूआत हुई थी तब से ही सिंघु बार्डर पर थे एक बार भी वह आंदोलन को छोड़कर अपने घर नही गए।
मेजर खान के बारे में बताया जाता है कि किसान आंदोलन में पर्दे के पीछे जितने भी अहम फैसले लिए जाते थे उनमें मेजर खान का बहुत अहम रोल होता था।
मेजर खान की मौत पर स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं किसान नेता योगेन्द्र यादव ने दुख जाहिर करते हुए कहाँ कि किसान आंदोलन ने अपना नायाब सूबेदार खो दिया।
माई नेम इज ख़ान, मेजर ख़ान: किसान आंदोलन ने अपना नायाब सूबेदार खो दिया
साथी तुम्हारे सपनों को
मंजिल तक पहुंचाएंगे… #FarmersProtest #MajorKhan pic.twitter.com/3pmeCBC07G— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 17, 2021
योगेन्द्र यादव का कहना है कि मेजर खान का संकल्प था कि मोर्चा जीते बगैर घर नही जाऊंगा और नही गए लेकिन आज उनकी अर्थी उनके घर पहुंची।
में ऐसे महान साथी को सलाम करता हूँ तथा ऐसे महान वयक्ति को सच्ची श्रद्धांजलि उसके मकसद को क़ामयाब करना ही होगा तथा हम सबको यह प्रण लेना है कि इस लड़ाई को जीतने के बाद ही वापस घर जाएंगे।