जब से 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा हैं तब से तमाम विपक्षी दलों के नेता आरोप लगा रहें हैं कि अगर इस बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते है तो भारत का संविधान बदल दिया जाएगा और लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, जिसके बाद चुनाव की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
हालांकि ये सब कयास बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद के हैं लेकिन तमाम दावे कहीं ना कहीं चुनाव से पहले ही सच होते दिखाई दे रहें हैं।
सबसे पहले हम बात करते हैं प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात की सूरत लोकसभा सीट की, यहां से BJP उम्मीदवार मुकेश दलाल ने चुनाव से पहले ही निर्विरोध जीत दर्ज़ कर ली है. निर्विरोध जीत इसलिए हुयी है क्योंकि यहां से कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था और बाकी बचे 8 उम्मीदवारों ने भी अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है।
इसी प्रकार गांधीनगर लोकसभा सीट के निर्दलीय उम्मीदवार भी काफ़ी परेशान नज़र आ रहें हैं। अखिल भारतीय परिवार पार्टी के उम्मीदवार जितेंद्र सिंह चौहान का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा हैं जिसमें चौहान रोते हुए अपनी जान को खतरा बताते हैं और उनका कहना है कि उनसे जबरदस्ती नामांकन वापस कराया जा रहा है, अमित शाह के लोगों ने उन्हें बंधक बना लिया है।
इसी सीट से भारतीय राष्ट्रीय दल के उम्मीदवार परेश कुमार नानूभाई मुलानी का कहना है कि उनका नामांकन हो जाने के बाद भाजपा की तरफ से नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया गया जिसके बाद मैने मजबूरन 20 अप्रैल को अपना नामांकन वापस ले लिया है।
एक अन्य उम्मीदवार गोस्वामी अमित भारती महेंद्र भारती ने भी सत्ताधारी पार्टी के प्रेशर में नामकंन वापस लेने की बात की हैं।
मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है, यहां से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी की राह आसान कर दी है।
मध्य प्रदेश की ही खजुराहो लोकसभा सीट से भी INDIA गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा दस्तखत ना होने की वजह से खारिज हो गया, जिसके बाद आनन फानन में INDIA गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के कैंडिडेट को अपना समर्थन दिया हैं।
ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुचरिता मोहंती ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने अपना टिकट लौटाते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि मुझे पार्टी चुनाव लड़ने के लिए फंड नहीं दे रहीं है।
हालांकि इस प्रकार विपक्षी उम्मीदवारों का टिकट वापस करना पहले भी होता था लेकिन इस बार जिस मक़सद से बीजेपी चुनाव लड़ रहीं हैं उस मकसद को पूरा करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं।
सत्ता के अहंकार में भाजपा साम दाम दंड भेद के ज़रिए दोबारा सत्ता प्राप्ति के मकसद को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रही है।