इलाहबाद में अतीक अहमद और उनके भाई की पुलिस कस्टडी में हत्या को जस्टिफाई करने और संतुलन दिखाने के लिए कल पुलिस ने अनील दुजाना को मार डाला
अनिल दुजाना गौतमबुद्ध नगर में दादरी क्षेत्र के दुजाना गांव का रहने वाला था. वह पिछले करीब 3 दशकों से जुर्म की दुनिया में सक्रिय था. लेकिन किसी भी केस में वांछित नहीं था और वह पिछले महीने ही 20 अप्रैल को जमानत पर आया था।
अनिल दुजाना के गिरोह के अधिकांश सदस्य उसे छोड़ कर जा चुके थे. अनिल दुजाना ने अदालत परिसर में शादी की थी और और उसके एक बच्ची है. जमानत पाने के बाद वह अपने परिवार के साथ घूमने राजस्थान चला गया था।
कहा जाता है कि कुछ दलाल या ऐसे ही लोग उससे जिन्दा रहने के लिए बड़ी रकम मांग रहे थे और इसी भय से वह अपनी जमानत रद्द करवा कर दिल्ली के तिहाड़ जेल जाना चाहता था. इसके लिए वह दो दिन कड़कड़डूमा कोर्ट भी आया था।
वह यूपी की जेल में नहीं जाना चाहता था क्योंकि वहां उसे सुंदर भाटी गिरोह से खतरा था और वह दिल्ली में अपनी जमानत ख़ारिज करवा कर जेल जाने की तैयारी कर रहा था।
कुछ लोग उसे उसके घर से अपने साथ ले गए. कहते हैं कि वे पुलिस वाले थे लेकिन सादी पोशाख में थे. उसे मेरठ की तरफ गंग नहर के किनारे ले जाते हुए कई लोगों ने देखा और फिर वही कहानी दुहरा दी गई
पहले भी कहा था, अपराध उन्मूलन के नाम पर विरोधी गिरोह से सुपारी ले कर कर ह्त्या करने के मामले में उत्तर प्रदेश की एसटीएफ अव्वल है और इस मामले में भी यही हुआ है।
(साभार पंकज चतुर्वेदी की फेसबुक वॉल से)