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भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकार खतरे में हैं: अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित थिंक-टैंक ‘फ्रीडम हाउस’ द्वारा ज़ारी ताज़ा रिपोर्ट में भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों को लेकर चिंता ज़ाहिर की हैं।

रिर्पोट में भारत को साल 2022 में ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र‘ देश का दर्जा देते हुए कहा है कि, भारत में आरटीआई क़ानून कमज़ोर हुआ है तथा प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं।

फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2023 की रिपोर्ट में 195 देशों को रैंकिंग दी गई है जिसमें भारत को 100 में से 66 अंक मिले हैं. मूल्यांकन के मापदंडों में चुनावी प्रक्रियाएं, सरकार की कार्यपद्धति, अभिव्यक्ति एवं मत की स्वतंत्रता, एवं व्यक्तिगत अधिकार शामिल हैं।

सरकार के कामकाज पर रिपोर्ट कहती हैं कि, लोकायुक्त संस्थान प्रभावहीन हैं आधिकारिक भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत सुरक्षा उपायों की कमी है तथा एजेंसियां कार्रवाई शुरू करने में धीमी रही हैं।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) का जिक्र करते हुए कहा है कि, इसका इस्तेमाल भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए किया गया है, लेकिन विभिन्न कारणों से यह कमजोर हुआ हैं।

मोदी सरकार द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता पर किए गए हमलों के बारे में लिखा हैं कि, हाल के वर्षों में रिपोर्टिंग काफी कम महत्वाकांक्षी हो गई है. मीडिया की आलोचनात्मक आवाजों को दबाने के लिए अफसर और अधिकारियों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

रिर्पोट में भाजपा से निष्कासित नुपूर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद पर दिए गए बयान से पनपी हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में मुसलमानों के घरों पर चलाए गए बुलडोजर का भी जिक्र किया गया है।

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