त्रिपुरा पुलिस प्रशासन ने ट्विटर से उन 68 ट्विटर अकॉउंट की जानकारी मांगी है. जिन ट्विटर अकॉउंट से त्रिपुरा दंगों के दौरान शहीद हुई मसाजिद की ख़बर सर्कुलेट की गई हैं।
क्योंकि त्रिपुरा सरकार उन 68 लोगों पर UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है. लेकिन उन 68 लोगों में कौन कौन है उनका नाम अभी सामने नहीं आया है।
त्रिपुरा में जबसे मुस्लिम मुख़ालिफ़ फ़साद शुरू हुआ तबसे लेकर अबतक गोदी मीडिया ख़ामोश रही और त्रिपुरा पुलिस दंगों के दौरान मसाजिदों में हुई तोड़फोड़-आगजनी, मुसलमानों के घरों-दुकानों में हुई तोड़फोड़-आगजनी की ख़बर को फ़ेक/झूट बताती रही।
लेकिन जब ‘मिल्लत टाइम्स’ और ‘इंडिया टूमॉरो’ मीडिया के पत्रकारों ने त्रिपुरा पहुंचकर उन मसाजिदों का दौरा किया और वहां की ज़मीनी हक़ीक़त को दुनिया के सामने लाया तो फिर इस बात पर मुहर लग गयी कि त्रिपुरा पुलिस त्रिपुरा दंगों का सच छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
लेकिन जब त्रिपुरा पुलिस के इस झूट से पर्दा उठा और जब ये ख़बरें देश दुनिया में फैलने लगीं तो त्रिपुरा के डीजीपी ने बाइट्स दिया और उन्होंने ये माना कि फ़साद हुआ और मसाजिदों, घरों, दुकानों को नुक़सान पहुंचाया गया। वग़ैरह-वग़ैरह।
उन 68 लोगों में किसी का भी नाम हो सकता है। उन 68 लोगों में अधिकतर मुस्लिम लड़के होंगे। कल अगर आपका नाम भी इस फ़ेहरिस्त में हो तो ये बहुत हैरत वाली कोई बात नहीं है. या फिर ज़बान बन्द कर लीजिए. आंखें मूंद लीजिए और कान में रुई डाल लीजिए। या फिर जो इसका शिकार हो रहे हैं उनका मज़ाक़ उड़ाइये ये कहकर कि…
“क्या ज़रूरत थी लिखने की? क्या ज़रूरत थी ट्रेंड चलाने की? वग़ैरह-वग़ैरह”
पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने 27 अक्टूबर को एक ट्वीट किया था अपनी उस ट्वीट में श्याम मीरा सिंह ने सिर्फ़ “Tripura Is Burning” लिखा था. अब उनकी उस ट्वीट के लिए त्रिपुरा पुलिस ने UAPA के तहत नोटिस भेज दिया है. हो सके अगला निशाना आप, हम भी हो सकते हैं।