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रोज़ मंदिर जाने वाली रिचा ने अपनाया इस्लाम धर्म, डेढ़ साल तक कुरान का अध्ययन करने के बाद लिया फैसला

आजकल धर्मांतरण को लेकर बहुत बहस चल रही है। इस बहस की वजह ये है कि उत्तर प्रदेश की ATS ने दिल्ली से 2 लोगों को धन का लालच देकर धर्मांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

उत्तर प्रदेश ATS ने दिल्ली के जामिया नगर इलाके से जहांगीर और उमर गौतम को गिरफ्तार किया है। उमर गौतम पहले हिन्दू थे। उन्होंने इस्लाम के बारे में काफी जानकारी हासिल की और फिर खुद मुसलमान हो गए। तबसे वे एक पक्के और सच्चे मुसलमान बन गए हैं। दाढ़ी रखते हैं, पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ते हैं। उमर गौतम को इस्लाम धर्म से इतनी ज़्यादा लगाव हो गया कि वे अन्य हिंदुओं को भी इस्लाम के बारे में बताने लगे।

उनकी बातों से प्रभावित होकर अब तक हज़ारों लोगों ने हिन्दू धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया है।

उमर गौतम की गिरफ्तारी ऐसे वक्त में हुई है जब उत्तर प्रदेश में कट्टर हिंदूवादी योगी आदित्यनाथ की सरकार है। ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि उमर गौतम को निशाना बनाकर गिरफ्तार किया गया है।

ऐसे में हम आपको एक ऐसी हिन्दू महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने काफी छानबीन करने के बाद हिन्दू धर्म छोड़कर मुसलमान बन गयी।

हम आपको रिचा सचान से माही अली बनी हिन्दू महिला की कहानी इसलिए बताने जा रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश ATS ने जिस उमर गौतम को ज़बरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार किया है रिचा सचान ने उसी उमर गौतम की संस्था के संपर्क की मदद से इस्लाम धर्म काबुल किया है।

रिचा सचान शुरुआत से ही एक धार्मिक लड़की थी। वे रोज़ मंदिर जाया करती थी।

दैनिक जागरण से बातचीत में रिचा ने बताया कि उसने 2015 में प्रयागराज के झूसी स्थित एक कॉलेज से MBA किया था। उसके बाद नौकरी के लिए वे जयपुर चली गयी। वहां जाकर उसने कई धर्मों की किताबों को पढ़ना शुरू किया।

उसने ईसाई धर्म की किताब पढ़ी। फिर उसने कुरान शरीफ की अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ना शुरू किया। कुरान में लिखी बातें उसके दिल में उतरने लगी। उसको लगने लगा कि कुरान में जो बातें लिखी हैं वही बातें इंसानियत की भलाई कर सकती हैं। साथ ही उन्होंने ये भी महसूस किया कि जिन बातों को लेकर मुस्लमानों को बदनाम किया जाता है वे सब मनगढंत हैं।

कुरआन के साथ साथ उसने बुखारी शरीफ और अन्य हदीस की किताबों को भी पढ़ा। उसने इस्लाम के आखरी पैगम्बर मोहम्मद साहब के बारे में भी पढ़ी और उनके द्वारा कही गई बातों को भी जाना। इन सब किताबों को पढ़कर रिचा इस्लाम धर्म से बहुत ज़्यादा आकर्षित हुई।

डेढ़ साल तक इस्लाम की जानकारी इकठ्ठा करने के बाद रिचा ने इस्लाम धर्म क़बूल करने की ठान ली। उसको ये एहसास हुआ कि अच्छा और सच्चा मज़हब इस्लाम ही है जो एक खुदा की बात करता है और इंसानियत की बात करता है।

2018 में रिचा दिल्ली आ गयी और वहां वह एक NGO में काम करने लगी। वहां उसने पता लगाया तो पता चला कि धर्म परिवर्तन करने के लिए उसे 2 सर्टिफिकेट की चाहिए एक SDM से और दूसरा एक मुफ़्ती से। सर्टिफिकेट के लिए ही वे जहांगीर के संपर्क में आई और फिर उम्र गौतम से संपर्क में आई।

उमर गौतम जो दावा सेंटर चलाते हैं वहां जाकर रिचा ने SDM का सर्टिफिकेट दिखाया और फिर मुफ़्ती जहांगीर ने उसे सर्टिफिकेट दिया।

दैनिक जागरण से बातचीत में रिचा के पिता ने बताया कि बचपन से ही बहुत धार्मिक थी। वह रोज़ मंदिर जाती थी। जब वह कॉलेज जाती थी तो रास्ते में एक मंदिर पड़ता था वह रोज़ उस मंदिर के दर्शन करने के बाद ही कॉलेज जाती थी।

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