ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दबाव में झुकी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक बार फ़िर लाल किले के ऐतिहासिक मुशायरे के आयोजन का फ़ैसला लिया हैं।
हर साल 23 जनवरी को होने वाले लाल किले के ऐतिहासिक मुशायरे का आयोजन इस बार अरविंद केजरीवाल सरकार ने रद्द करने का मन बना लिया था।
जिसके बाद दिल्ली एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष कलीमुल हफीज़ ने मुशायरा रद्द होने के फैसले पर नाराज़गी जताते हुए काफ़ी विरोध प्रकट किया।
कलीमुल हफीज़ ने कहा था कि “गणतंत्र दिवस पर लाल किला का ऐतिहासिक मुशायरा नहीं रखना उर्दू से दुश्मनी है. जब मास्क पहनकर परेड हो सकती है , बाजार लग सकता है तो मुशायरा क्यों नहीं हो सकता।
कलीमुल हफीज़ के द्वारा किए गए विरोध को देखते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार ने तुरंत मुशायरे को करने का फ़ैसला लिया तथा 31 जनवरी को इसके आयोजन का कार्यक्रम तय किया।
कलीमुल हफीज़ का कहना हैं कि “मजलिस की आवाज व दबाव के आगे दिल्ली सरकार को झुकना पड़ा. मुशायरा कराना पड़ा. जश्न ए जम्हूरियत का 23 जनवरी को होने वाला मुशायरा 31 जनवरी को हो रहा है. देर आयद दुरुस्त आयद. यह ढोंगी सरकार यह भी बताए कि उर्दू डेस्क की बहाली व उर्दू एकेडमी की 27 वैकेंसी कब भरी जाएंगी?”
मजलिस की आवाज व दबाव के आगे दिल्ली सरकार को झुकना पड़ा, मुशायरा कराना पड़ा
जश्न ए जम्हूरियत का 23 जनवरी को होने वाला मुशायरा 31 जनवरी को हो रहा हैदेर आयद दुरुस्त आयद
यह ढोंगी सरकार यह भी बताए कि उर्दू डेस्क की बहाली व उर्दू एकेडमी की 27 वैकेंसी कब भरी जाएंगी?@aimim_national pic.twitter.com/13iXOPlxCA
— Kaleemul Hafeez (@KaleemulHafeez) January 30, 2022