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पिछले दो वर्षो में गुजरात पुलिस की हिरासत में 150 से अधिक लोगों की मौत, ज्यादातर मरने वाले मुसलमान

पुलिस हिरासत में मौत कोई नया मामला नही है हर वर्ष हमारे देश में सैकड़ो लोग पुलिस हिरासत में अपनी जान गंवाते है। पुलिसिया जुल्म के आगे बेबस लोग मजबूर होकर दम तोड़ देते है।

पुलिसिया जुल्म के शिकार लोगों को न तो इंसाफ मिल पाता है और न ही किसी का साथ। अपनों को खोने का दुख सहकर जब परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकता है तो वह भी अंत में थक कर घर बैठ जाता है।

संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2020-21 में पुलिस हिरासत के दौरान सबसे ज्यादा मौतें गुजरात में हुई है। जहां पर 150 से अधिक लोगों ने पुलिस हिरासत में अपनी जान गवां दी।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के अनुसार गुजरात में 2001 से 2016 तक पुलिस हिरासत में 180 लोगों की मौत हुई है इनमें से किसी भी मामलें में पुलिसकर्मी को इन मौतों के लिए सजा नहीं हुई है।

2019 के बाद से भी पुलिस हिरासत में जितनी मौतें हुई है उनमें भी पुलिसकर्मियों को महज जुर्माना लगाना एवं वेतन वृद्धि रोकने जैसी कार्यवाही हुई है।

मुस्लिम एक्टीविस्ट शरजील उस्मानी के अनुसार “पिछले 2 वर्षों में गुजरात पुलिस की हिरासत में प्रताड़ना से 150 से अधिक लोग (ज्यादातर मुस्लिम) मारे गए हैं। जब पुलिस हत्या करती है तो आप किसे कहते हैं? हमारे पास क्या विकल्प हैं? भूल जाओ और आगे बढ़ो जैसे यह कभी नहीं हुआ? हम अपने माता-पिता की तरह क्षमाशील नहीं हैं। हम याद रखते हैं।

शरजील उस्मानी के अनुसार गुजरात पुलिस की हिरासत में मरने वाले ज्यादातर मुसलमान है। मुसलमानों पर जुल्म बढ़ रहा है और हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम सब भूल जाएँ।

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