ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित सभी राष्ट्रीय संगठनों और देश के सभी मुसलमानों और न्यायप्रिय नागरिकों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद, वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया। इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजल-उर-रहीम मुजद्दिदी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का पारित होना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर एक काला अध्याय और दाग है।
सत्ता के नशे में चूर शासक वर्ग आगे बढ़ रहा है और अपनी गलतियों व कमियों को छिपाने के लिए देश में नफरत का माहौल पैदा कर रहा है, जिसका एक हिस्सा वक्फ संशोधन विधेयक है। मुसलमानों के प्रति हमदर्दी के नाम पर लाया गया यह कानून मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है और वक्फ संपत्तियों के लिए भी विनाशकारी है! यह खेदजनक है कि तत्कालीन सरकार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य राष्ट्रीय संगठनों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया, न ही विपक्षी दलों और नागरिक समाज के सांसदों की आवाज सुनी।
एक लोकतांत्रिक देश में यह तानाशाही व्यवहार अस्वीकार्य है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस पर चुप नहीं बैठेगा, बल्कि देशव्यापी विरोध का मार्ग प्रशस्त करेगा और पूरी तैयारी के साथ कानूनी कार्रवाई भी करेगा। कानूनी कार्रवाई और विरोध की तैयारी के संबंध में विचार-विमर्श चल रहा है।
इसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी तथा ईश्वर की इच्छा से संविधान व कानून के दायरे में रहकर पूरी ताकत से शांतिपूर्ण लेकिन निरंतर व सशक्त विरोध किया जाएगा।
हम न केवल मुसलमानों बल्कि देश के न्यायप्रिय नागरिकों से भी अनुरोध करते हैं कि वे बोर्ड की घोषणा का इंतजार करें और जब विरोध का आह्वान किया जाए तो पूरी ताकत से उसमें शामिल हों ताकि सरकार को अपनी गलती का एहसास हो और इस कानून की वापसी का रास्ता खुल सके।
हम यह भी स्पष्ट करना आवश्यक समझते हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक अपनी विषय-वस्तु की दृष्टि से बहुत हानिकारक और विनाशकारी है तथा अनेक कठिनाइयां और समस्याएं पैदा करेगा, इसलिए सरकार को इसे हर हाल में वापस लेना चाहिए।
विपक्षी दलों के सांसदों ने जिस जागरूकता, तत्परता और जिम्मेदारी की भावना के साथ वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का विरोध किया और लोकसभा और राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद मुसलमानों की स्थिति स्पष्ट की, वह स्वागत योग्य है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का विरोध करने वाले सभी विपक्षी दलों, उनके नेताओं और सांसदों का आभारी है और उनके कार्यों और पहल की सराहना करता है और उम्मीद करता है कि वे भविष्य में वक्फ संशोधन विधेयक को रोकने के सभी प्रयासों में कंधे से कंधा मिलाकर भाग लेते रहेंगे। इसी प्रकार, भाजपा के सहयोगी दलों और उनके नेताओं, विशेषकर नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जयंत चौधरी की इस संबंध में जो भूमिका रही है तथा जिस प्रकार उन्होंने मुसलमानों को पीछे छोड़कर वर्तमान सरकार का समर्थन किया है, वह अत्यंत दुखद और खेदजनक है।
वक्फ संशोधन विधेयक के संबंध में हम उनके रवैये और व्यवहार की जितनी निंदा करते हैं, उतना ही कम है कि मुसलमानों ने हमेशा उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि के कारण इन सज्जनों का समर्थन किया है। लेकिन जिस तरह से इन लोगों ने मुसलमानों को धोखा दिया है उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा और उन्हें हर हाल में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इन पार्टियों से जुड़े मुसलमानों के लिए भी यह चिंतन का विषय है कि इस बेवफाई के बाद उनकी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए और मुसलमान होने के नाते उन्हें क्या रास्ता अपनाना चाहिए? राष्ट्र को त्यागकर राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाना एक जघन्य कृत्य है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना चाहता है कि बोर्ड किसी भी दबाव, धमकी या गलत व्यवहार और आचरण के कारण अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेगा। वक्फ संशोधन विधेयक के संबंध में जो भी कुर्बानी देनी होगी, वह दी जाएगी और इस लड़ाई में बोर्ड अकेला नहीं होगा, बल्कि पूरा इस्लामी राष्ट्र भारत उसके साथ खड़ा होगा।