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असम में प्रशासन ने 800 मुस्लिम परिवारों के घर तोड़े, प्रदर्शन करने पर पुलिस ने चलाई गोलियां, 2 की मौत

असम में मुस्लिम बहुल बस्ती को अवैध बताते हुए प्रशानन ने कार्यवाही करते हुए 800 घरों को तोड़ दिए जिसके कारण बड़े पैमाने पर लोग बेघर हो गए हैं।

मामला दरांग ज़िले के ग्रेटर धौलपुर इलाके का हैं जहां पर प्रशासन घरों के साथ-साथ दो मस्जिदों को भी शहीद किया हैं। जिसके बाद से इलाके में तनाव का माहौल था।

बेघर हुए मुसलमानो ने प्रशासन एवं सरकार के सामने अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहें मुसलमानो पर पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दी।

पुलिस की गोलीबारी में दो मुस्लिमों के मरने की ख़बर हैं दर्जनों मुस्लिम घायल भी हुए हैं। घटना के बाद से इलाके में दहशत का माहौल हैं तथा पूरे देश में निहत्थे मुसलमानो पर गोली चलाने की निंदा हो रहीं हैं।

पत्रकार पंकज चतुर्वेदी ने पुलिस द्धारा मुसलमानो पर गोलीबारी की घटना की वीडियो शेयर करते हुए लिखा हैं कि “असम के दरांग में दो दिनों से लोगों से कब्जा हटाने के नाम पर मुसलमानों को बेघर, पिटाई का जो दौर चल रहा था, आज उसका बेहद पाशविक चेहरा सामने आया। एक आदमी के सीने में गोली लगी है और उसे पुलिस वाले मार रहे हैं फिर पुलिस की उपस्थिति में एक नरपिशाच उस मुर्दे की छाती पर कूदता है।”

आपको बता दें कि विडियो में पुलिस की गोली से मरे मुस्लिम व्यक्ति की लाश पर एक फोटोग्राफर कूद रहा हैं तथा उसके सर को कुचल रहा हैं।

सोशल एक्टिविस्ट शाहनवाज अंसारी के अनुसार “असम की संघी सरकार ने 800 मुस्लिम परिवारों के घरों को अवैध बताकर उसपर बुल्डोजर चलवाकर उन्हें बेघर कर दिया है।
जब इसके ख़िलाफ़ मुसलमान प्रोटेस्ट कर रहे हैं तो उनपर सीधे-सीधे असम पुलिस गोलियां चला रही है और हिंदूवादी पत्रकार आतंकवादी का रोल अदा कर रहे हैं।

इस घटना पर पत्रकार पुनीत सिंह का कहना हैं कि “पहले मुस्लिमों को उंगली करो, फिर जब वो रिप्लाई करे तो आतंकवादी, देश द्रोही बताकर उनको गोली मार दो। असम में 8500 लोगो को बेघर किया गया है। अब जब वो लोग अपने लिए घर मांग रहे है तो उन पर गोलियां चलवाई जा रही है। ये गलत है सरकार।

मुस्लिम व्यक्ति की छाती पर चढ़कर कूदने वाले फोटोग्राफर की पहचान बिजॉय बानिया के रुप में हुई है जिसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

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