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सम्पादकीय

कन्हैया ने उमर ख़ालिद के साथ हमेशा से ही बेईमानी की है

मैं यह भी समझता हूँ कि उमर खालिद के जेल से आने के बाद कन्हैया डैमेज कंट्रोल करने के लिए उनसे मिलेंगे। सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा होंगी और दोनों एक दूसरे को दोस्त बतायेंगे।

क्योंकि पिछले 6-7 वर्षों में नाखून कटाकर शहीद का दर्जा प्राप्त करने वाले कन्हैया के आभा मंडल को लगभग 50 सेकण्ड्स की एक वीडियो क्लिप ने ध्वस्त कर दिया है। इसलिए यह सब दिखावा होगा। पहले भी ऐसा होता रहा है। कन्हैया को इस बात तनिक भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा की सिवान जैसे एक छोटे शहर के एक छोटे से यूट्यूब चैनल का एक क्लिप दस दिनों के बाद इसतरह वायरल होगा और मुसलमानों के बीच बनी उनकी छवि मटियामेट हो जायेगी।

ख़ैर उमर के सम्बंध में कन्हैया के दिल की बात उसके ज़ुबान पर आगयी। इस बात को समझने के लिए तीन घटनाओं का ज़िक्र करूँगा और आप समझ जायेंगे की वह उमर को कैसे अलग-थलग कर दिया।

1. 2019 के लोकसभा चुनाव में देश भर के कॉमरेड, सेक्युलर, लिबरल, एक्टिविस्ट, बुद्धिजीवी, छात्र पत्रकार इत्यादि कन्हैया के प्रचार में बेगूसराय चुनाव प्रचार में पहुँचे। शहला रशीद, स्वरा भास्कर, योगेंद्र यादव, प्रकाश राज, जिग्नेश मेवानी, नजीब की अम्मी, राधिका वेमुला सहित पूरी जेएनयू और दूसरे यूनिवर्सिटी के लाल सलामी टीम को कन्हैया ने बुलाया। अगर बेगूसराय में आपको कोई नज़र नहीं आया होगा तो वह उमर ख़ालिद था।

2. CAA/NRC/NPR को लेकर बिहार में अख्तरूल ईमान, डॉ शक़ील अहमद खान और कन्हैया कुमार सहित दर्जनों एक्टिविस्टों ने तिरँगा यात्रा निकाला था। हालाँकि दो-तीन कार्यक्रमों के बाद अख्तरूल ईमान इस यात्रा से बाहर हो गये थे। इस यात्रा का अंत 27 फ़रवरी, 2020 को पटना के गाँधी मैदान में होना था। देश भर से छोटे-बड़े-मंझले सभी तरह के एक्टिविस्टों का बैनर पर नाम पड़ा और पटना बुलाया गया। उस कार्यक्रम में नदीम खान, उमर ख़ालिद और मीरान हैदर को नहीं बुलाया गया। जब्कि जामिआ का छोटा चंदन कुमार और मंझली स्तर की एक्टिविस्ट चन्दा यादव तक को बुलाया गया था। आपमें से बहुत लोगों को याद होगा कि उस समय उमर खालिद, फ़हद अहमद और मशकूर उष्मानी की तरफ़ से एक जॉइंट स्टेटमेंट भी आया था।

3. कन्हैया की गिरफ्तारी होती है। एक बड़ा पत्रकार उसकी मुँह में ज़बरदस्ती डेढ़ फुट का माइक डालकर उसको नेता बना देता है। देश के युवा पागल हो जाते है। ऐसा मालूम पड़ता है कि दूसरा बोल्शेविक जेएनयू में होगा और लेनिन कन्हैया ही बनेगा। CAA आंदोलन के दौरान हमारे अनेकों भाईयों की गिरफ्तारी होती है। शरजील ईमाम, मीरान हैदर और उमर ख़ालिद को भी गिरफ्तार किया जाता है। बाक़ी लोगों को छोड़ दीजिए। आप उमर ख़ालिद की गिरफ्तारी के समय एक हफ्ता तक का फेसबुक और ट्विटर चेक कर लीजिए कन्हैया द्वारा एक शब्द नहीं मिलेगा।

ऐसी सैकड़ों कहानियाँ है जो यह साबित करने के लिए काफी है कि कन्हैया ने उमर ख़ालिद के साथ बेईमानी किया है। अगर आप मेरे साथ फेसबुक पर शुरू दिनों से जुड़े हुए है तो मैंने ऐसे दर्जनों कहानियाँ लिखी है। उन कहानियों की वजह से बहुत सारे लोगों ने मुझें बुरा-भला भी बोला था। लेकिन कोई बात नहीं कन्हैया को लोग 2015 के बाद से जान रहे है और मैं कन्हैया उन लोगों में शामिल हूँ जो लोग कन्हैया को पटना रहने के समय से जानते है। इसलिए मुझें कन्हैया में पहले दिन से ही कोई क्रांति नज़र नहीं आयी।

(यह लेखक के अपने विचार हैं लेखक तारिक अनवर चंपारणी सोशल एक्टिविस्ट हैं)

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